कोरोना संकट को लेकर हाल ही में दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के संबोधन पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में टिप्पणी की गई है. सामना में पीएम मोदी के इस संबोधन की तारीफ की गई है और कहा गया है कि पीएम अपनी कार्यशैली नहीं बदलते हैं, बिना लाग लपेट के उन्होंने देशवासियों से सीधी
कोरोना संकट को लेकर हाल ही में दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के संबोधन पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में टिप्पणी की गई है. सामना में पीएम मोदी के इस संबोधन की तारीफ की गई है और कहा गया है कि पीएम अपनी कार्यशैली नहीं बदलते हैं, बिना लाग लपेट के उन्होंने देशवासियों से सीधी बात कर दी.
शिवसेना ने सामना में लिखा कि ये पिछले सात-आठ महीनों में दिया गया, सबसे शानदार संबोधन था. सामना में लिखा है कि पीएम ने कोरोना के खिलाफ की लड़ाई महाभारत काल से शुरू की थी जो अब राम चरित मानस तक पहुंच गई है. पीएम द्वारा एक अभिभावक के रूप में लोगों से अपील की गई है.
सामना में पीएम मोदी के संबोधन की तुलना उद्धव ठाकरे के संबोधनों से की गई है और कहा है कि जैसे उद्धव मराठी में राज्यों के लोगों से बात करते हैं, वैसे ही पीएम ने लोगों को समझाने की कोशिश की जिसमें सभी जरूरी जानकारी शामिल थीं.
इसी के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तंज कसा गया, सामना में लिखा गया कि राज्यपाल ने पीएम मोदी का भाषण ध्यान से सुना होगा. जहां भीड़ हो सकती है, उन्हें इसलिए जल्दी नहीं खोला गया है. जब देश के प्रधानमंत्री भी कह रहे हैं कि लापरवाही हानिकारक हो सकती है तो सभी को सोचना चाहिए.
सामना में कहा गया है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कई त्योहारों की बधाई दी, जिससे साबित होता है कि पीएम सेक्युलर ही हैं और ऐसे में सभी को इसका ध्यान देना चाहिए.
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